15 अगस्त 1947 को भारत देश आजाद हुआ।

15 अगस्त 1947 को भारत देश आजाद हुआ।

26 नवम्बर 1949 को संविधान को अंगिकार किया गया ।

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान अमल में आया।

भारतीय संविधान के कारण बुद्ध तथा सम्राट अशोक के देश का नये रूप में संविधान के निर्माता बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर जी ने दुनिया के सामने पेश किया।

बाबासाहेब ने भारतीय संविधान के माध्यम से भारत देश काे दुनिया के सामने पुर्न स्थापित किया।

भारत को बुद्ध का देश के नाम से जाना जा रहा है।

बुद्ध धम्म का प्रतिक - आकाशी निला रंग

धम्म का प्रतिक -कमल का फूल (राष्ट्रीय फूल )

बोधि वृक्ष - पिपल के वृक्ष को राष्ट्रीय वृक्ष की मान्यता दी गई।

बुद्ध धम्म के धम्म चक्र को राष्ट्रीय चिन्ह की मान्यता दी गई और राष्ट्रीय झंडे पर धम्म चक्र अंकित किया गया।

सम्राट अशोक की राजधानी चार सिंह वाली मुद्रा के प्रतिक भारत देश की राजमुद्रा घोषित की गई।

समता, स्वातंत्र्य, न्याय व विश्व बंधुत्व ये बुद्ध धम्म के मार्ग को भारतीय संविधान ने स्वीकृति दी।

सम्राट अशोक के सत्यमेव जयते को भारतीय शासन व्यवस्था मे ब्रीद वाक्य कि स्वीकृति दी।

भारत को पहचान बौद्ध सस्कृति के कारण मिली।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उसका पहिला रंग जिसे हम लाल, केशरी, भगवा, आँरेंज कहते हैं। उस कलर को भारतीय संविधान में एक विशेष नाम वर्णित किया गया है अंग्रेजी में उसे आेशर कहा जाता है। आेशर - लाल, पिला मिट्टी जैसा जो बौद्ध भिक्षु के चिवर का रंग है जो कि त्याग का प्रतिक है।

दुसरा सफेद - सफेद रंग को बौद्ध धम्म में विशेष महत्व है। सफेद रंग शांति एवं सत्य का प्रतिक है, बौद्ध उपासक /उपासिका शील ग्रहण करते समय सफेद वस्त्र पहने जाते हैं।

तीसरा हरा - जो कि निसर्ग, प्राणीओ पर प्रेम करना बुद्ध धम्म के पंचशील का आचरण करना है।

तिरंगे के बीच में बुद्ध धम्म का प्रतिक धम्म चक्र निले रंग में अंकित किया गया है।

पूरे दुनिया को बौद्ध धम्म की पहचान दिलाता है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, संविधान मसोदा समिति के अध्यक्ष बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर ने देश को समर्पित किया।

भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का नाम बुद्ध धम्म से संलग्न हैं। भारत रत्न ये भी बुद्ध धम्म कि पदवी, बुद्ध, धम्म, संघ बुद्ध धम्म के त्रिरत्न। बुद्ध धम्म में सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति काे रत्न ये पदवी दी जाती है। अनेक बौद्ध भिक्षु के नाम रत्न शब्द उल्लेख मिलता है उदा. भन्ते ज्योतीरत्न, भन्ते संघरत्न, भन्ते शांतीरत्न वगैरे रत्न महान शब्द का बाबासाहेब पर बहुत प्रभाव था

बाबासाहेब ने अपने एक लाडले पुत्र का नाम भी राजरत्न रखा था, रत्न महान शब्द से देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का नाम भारत रत्न रखा है।

चिन्ह का भी बौद्ध धम्म से सम्बन्ध है। बोधि वृक्ष के पिपल के सोनेरी पान जिस पर पुरस्कार स्वीकारने वाले व्यक्ति का नाम सोनेरी में अंकित किया जाता है व दुसरे बाजुने चार सिंह वाली राजमुद्रा व धम्मचक रहता है।

बुद्ध धम्म के, मैत्री, प्रेम, व करूणा का प्रतिक कमल के फूल को संविधान कमेटी ने राष्ट्रीय मान्यता दी है।
 थायलैंड, श्रीलंका, बर्मा इ. बौद्ध राष्ट्र में तथागत  बुद्ध के चरणों में कमल के फूल को अर्पित किया जाता है।

पाली भाषा में कमल के फूल को पद्म कहा जाता है।

भारत रत्न पुरस्कार के बाद तीन प्रमुख पुरस्कार है जिसका नाम पद्य माने कमल हाेता है। कमल के एक बाजु में विभूषण, भूषण अथवा श्री लिखा हाेता है।

युध्दशौर्य में तीन प्रमुख पुरस्कार

परमवीर चक्र, वीरचक इस पुरस्कार में भी कमल का फूल रहता है

प्रमुख पुरस्कार का नाम अशोक चक्र है।

राष्ट्रपति भवन के प्रमुख हाल का नाम भी * अशोक हाल  * है।

हमारे केन्द्रीय मंत्री मंडल के निवास स्थान के परिसर का नाम बुद्ध सस्कृति पर रखा है, सम्राट अशोक के मंत्रीमंडल के नगर का नाम भी * जनपथ *  था इसलिए जनपथ नाम रखा है।

भारत की पहचान करने वाली प्रत्येक बात का बुद्ध धम्म से सम्बन्ध है। घटना समिति के सदस्यों में से प्रत्येक सदस्यों ने स्वीकृति दी।

क्योंकि वह सत्य है और सत्य कभी भी अमान्य नहीं हो सकता , इस प्रकार बाबासाहेब ने भारत बौद्ध मय किया है।
 बुद्ध धम्म की  विजय।
 सम्राट अशोक महान की विजय।
 बोधिसत्व, भारत रत्न बाबासाहेब की  विजय।
 ये भारतीय संविधान की विजय है।

आज जरूरत है बाबासाहब के कारवां को आगे बढ़ाने की और इतिहास के सही जानकारी की जिससे हमारे लोग अनभिज्ञ है । बाबासाहब ने सारी व्यवस्था संविधान के माध्यम से हमारे लिए कर रखी है । जरूरत है बस उसे अमलीजामा पहनाने की ।

हमारे लोगो ने बाबासाहब के उस कोटेशन को कभी गम्भीरता से क्यों नहीं लिया ।
ये बात मुझे आज तक समझ नहीं आई की शोषितो जाओ और

अपने घरो की दीवारो पर लीख दो कि
"" तुम्हे इस देश का हुक्मरान बनना हैंं

जय भीम
             जय भारत
    जय संविधान

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